भववनमें, नहीं भूलिये भाई । Bhav Van me Nahi Bhuliye Bhai

भववनमें, नहीं भूलिये भाई ।

भववनमें, नहीं भूलिये भाई । कर निज थलकी याद । । टेक ॥।

नर परजाय पाय अति सुंदर, त्यागहु सकल प्रमाद ।
श्रीजिनधर्म सेय शिव पावत, आतम जासु प्रसाद ।। १ ।।

अबके चूकत ठीक न पड़सी, पासी अधिक विषाद ।
सहसी नरक वेदना पुनि तहाँ सुनसी कौन फिराद ।। २ ।।

‘भागचन्द’ श्रीगुरु शिक्षा बिन, भटका काल अनाद ।
तू कर्ता तूही फल भोगत, कौन करै बकवाद ।। ३ ।।

रचयिता: कविवर श्री भागचंद जी जैन