एक था चेतन गतियाँ चार,
दुख का देखा कभी न पार।।
नरक से ति्य॑च में आये,
नर-सुर गति में भी दुख पाये ।।
चार गति से थक कर आये,
जिनवाणी के वचन सुहाए।
हमने देखा है जग सारा,
भगवान आत्मा सबसे प्यारा।।
Artist: बाल ब्र. श्री सुमत प्रकाश जी
Source: बाल काव्य तरंगिणी