भगवान आत्मा आनंद भंडार | Bhagwan Aatma anand bhandar

भगवान आत्मा आनंद भंडार चेतन उस पर दृष्टि कर,
शांत स्वरूप को लक्ष में ले, हो जायेंगे सब संकट हर।।टेक।।

कर्म तुझमें नहीं राग तुझमें नहीं, ऐसा जिनवर ने बतलाया,
तेरे दोषों से ही बंधन है, यह पूज्य गुरु ने फरमाया-२॥
अपने दोषों को दूर करे तो, जाये शाश्वत सुख के घर ।।१।।

तू वस्तुस्वरूप को भूला था, परभावों में धर्म माना था,
चेतन तो पर का ज्ञाता है, यह ज्ञानस्वभाव न जाना था-२॥
पर का अकर्त्ता यद्यपि ज्ञाता, ऐसी सम्यक् श्रद्धा कर।।२।।

यदि कर्म विकार करायें तुझे, तो कर्माधीन तु हो जाये। नहीं
ऐसी स्थिति में सुन चेतन, तुझे शाश्वत सुख न मिल पाये-२॥
तू चेतन कर्माधीन नहीं यह, पूज्य गुरु की कड़ी मोहर।।३।।

आ० अभय जी देवलाली

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