रचियता - डॉ. श्री हुकुमचंद जी भारिल्ल
इस thread पर बारह भावना- एक अनुशीलन कक्षा से सम्बंधित निम्न डाल सकते हैं:
- मुख्य बिंदु
- प्रश्न
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मंगलाचरण:
मैं ध्येय हूँ श्रद्धेय हूँ मैं ज्ञेय हूँ मैं ज्ञान हूँ ।
बस एक ज्ञायकभाव हूँ मैं मैं स्वयं भगवान हूँ ॥
इस सत्य को पहिचानना ही भावना का सार है।
धुवधाम की आराधना आराधना का सार है ॥