वंदनवार सजाओ सखी आज अँगना।
आज अँगना जन्मे पारस ललना ।।टेक।।
स्वर्ग सी प्यारी लागे, आज नगरिया।
जन्म महोत्सव की, बाजत बाधैया।।
आनंद की धार बहे आज अँगना…।।
बंधनवार…।।1।।
समकित के सूत्र गूँथो, ज्ञान के पुष्प।
दर्शन से सजा हृदय, चारित्र अनूप।।
हर्ष से झूमे भव्यों की भावना…।।
बंधनवार…।।2।।
कल्पतरु में लागे, पुष्प मनोहर।
हर्षित हैं नर-नारी, अवसर ये सुखकर।।
इंद्राणी नृत्य करें, बाजे कंगना…।।
बंधनवार…।।3।।
रचयिता - डॉ. विवेक जैन, छिंदवाडा