अवसर है सुखकार, जिनभक्ति करलो | Avsar hai sukhkaar, jin bhakti kr lo

(तर्ज : महावीर की जय बोल…)

अवसर है सुखकार, जिनभक्ति करलो।
निज पर भेद विचार, निज अनुभव करलो । टेक।।

प्रभु की छवि सु निहारो, वस्तु स्वरूप विचारो।
शुद्धतम ही सार, अब दृष्टि करलो ।।1।।

पुण्योदय की माया, सपने सम लख भाया।
तजकर विषय-कषाय, संयम चित धरलो ।।2।।

अपना प्रभु आराधो, परम साध्य को साधो ।
ज्ञायक प्रभु अविकार, परिणति में वरलो।3।।

पक्ष विकल्प न लाओ, अन्तर्द्वन्द मिटाओ।
सहज तत्त्व अवधार, भवसागर तिरलो ।।4।।

मोक्षमार्ग के नेता, सब कर्मों के भेत्ता।
केवल जाननहार, प्रभु गुण चित्त धरलो ।।5।।

चरण शरण में आओ, भक्ति सहित शिर नाओ।
सुगुण रतन भंडार, प्रभु दर्शन करलो ।।6।।

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