अरहंत भक्ति । Arihant Bhakti। चल चेतन प्यारे। Chal Chetan Pyare

अरहंत भक्ति

चल चेतन प्यारे, बीस विदेह मँझार।
बीस विदेहों में बीस जिनेश्वर समवशरण विस्तार ।। टेक।।

नित्य प्रति वहाँ पै वाणी खिरती, एक दिन में तीन बार।
समवशरण की शोभा वहाँ पै, अद्भुत रूप निहार ।। 1 ।।

मानस्तम्भ वहाँ पर राजे, मान सभी गल जाय।
बारह सभा वहाँ पै लग रहीं, भविजन जायें अपार ।।2।।

श्री जिनवर को अतिशय ऐसो, बैर भाव मिट जाय।
सिंहासन पर जिनवर सोहे, भामण्डल पिछवार ।।3।।

तीन छत्र सिर ऊपर राजे, चौंसठ चमर दुराय ।
विदेह क्षेत्र में जीव अभी भी, हो रहे भव से पार ।।4।।

Source: अध्यात्म पूजांजलि