अपनो शुद्धातम भगवान | Apno suddhatam bhagwan

अपनो शुद्धातम भगवान देखो मंगलमयी
देखो मंगलमयी, देखो आनंदमयी।

साक्षी में जिनराज की जीवराज पहचान
होकर अर्तमग्न हो दर्शाया भगवान ।
पर्यायार्थिक चक्षु को सर्वथा बंद कराय
खुली द्रव्यार्थिक चक्षु से प्रत्यक्ष लख सुखदाय।
अक्षय अक्षातीत है स्व संवेदन गम्य ।
नित परमानंद उछलता, अहो विकल्प अगम्य।।
तृप्त स्वयं में ही अहो, पर में नहीं उत्साह
वे ही अंतर आत्मा, मुक्तिपुरी के शाह।।