अंतर्मन पुलकित हुआ,
आज प्रभु दर्श मिला।। टेक।।
मन हर्षाएं मंगल गाएं,
श्रद्धा सुमन सब खिल खिल जाएं।
सविनय मस्तक को झुका…आज प्रभु दर्श मिला।।1।।
भामंडल सिंहासन सोहे,
छत्र चवर दिव्यध्वनि मोहे।।
दुंदुभी अशोक वर्षा…आज प्रभु दर्श मिला।।2।।
भक्त नहीं भगवान् बनाएं,
प्रभु गुण सम निज गुण को बताएं
देखी निज में ही प्रभुता…आज प्रभु दर्श मिला।।3।।