बाल भावना। १४.अनित्य अशरण । Anitya Asharan

१४. बारह भावना नाम

अनित्य, अशरण, संसार, एकत्व,
अन्यत्व, अशुचि, आश्रव, संवर

निर्जरा, लोक, बोधिदुर्लभ, धर्म
भाओ बारह भावना, वैराग्य बढावना

निजस्वरूप को ध्यावना, परमपद पावना
निजस्वरूप ही सार है, शेष सब असार है ।

रचयिता-: बा.ब्र. श्री रवींद्र जी ‘आत्मन्’

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