अहो भगवंत का दर्शन परम आनंद दाता है | aho bhagwant ka darshan param anand data hai

अहो भगवंत का दर्शन परम आनंद दाता है।
द्रव्य दृष्टि से जा देखे प्रभु निज में ही पाता है।टेक॥

देखकर स्वयं की प्रभुता, अक्षय चैतन्यमय वैभव,
सहज ही तृप्ति होता है मोह मिथ्या पलाता है ॥१॥

परम ध्रुवरूप के सन्मुख परिणति स्वांग सम दीखे,
सर्व परभावों से न्यारा, एक ज्ञायक दिखाता है ॥२ ।।

सहज आत्मानुभव होवे मुक्ति मारग प्रकट होता,
विशुद्धि त्यौं-त्यौं बढ़ती है, ज्य-ज्यौं ज्ञायक में रमता है ॥३॥

दशा निग्रंथ होती है चौकड़ी तीन जहाँ नाशे,
स्वाभाविक ज्ञान आनन्दमय साधु जीवन सुहाता है ।४।।

महा आनन्दमय चैतन्य में रमते-चढ़ श्रेणी,
वैभाविक कर्म सब विनशे स्वयं ही प्रभु कहाता है ॥५॥