ए री सखी आओ जी , मंगल गीत गाओ जी
बाल प्रभु गर्भ मां पधारा जी ।
धन्य धन्य हुई आज माता जी ।।
शुद्धि का उद्भव होता है ऐसे
आनंद हिलोरे लेता है जैसे -3
श्रद्धा सुमन लेकर, ज्ञान के रंग लेकर
माता जी का गर्भ संवारा जी ।
बाल प्रभु गर्भ मां पधारा जी ।।
निर्मल गुणों के रत्ना बरसेंगे
भव्य जीव पाकर जिसको हर्षेंगे -3
भक्ति गीत गाएंगे, खुशियां मनाएंगे
झूम रहा रंग मां हमारा जी ।
धन्य धन्य हुई आज माता जी ।।
माता जी के चेहरे पर ये खुशहाली
भेदज्ञान की ही छाई ये लाली -3
गर्भ में रहते हैं, ऐसा हम कहते है
स्वानुभव का झरना झरता जी ।
धन्य धन्य हुई आज माता जी ।।
Lyrics by- @Samkit_Jain1