अब ना करेंगे मनमानी | Ab naa krenge mnnmani

अब ना करेंगे मनमानी,
हृदय धरेंगे जिनवाणी !

बड़े पुण्य से अवसर आया,
समवशरण सा ध्यान लगाया !
चार दिनों की जिंदगानी…!!

अब ना करेंगे मनमानी,
हृदय धरेंगे जिनवाणी .!

छत्र चँवर तरु शोभा न्यारी,
दिव्य धुनि खिरती है प्यारी.!
पूजें सव मुनिवर ज्ञानी-.!!

हृदय धरेंगे जिनवाणी…,
अब ना करेंगे मनमानी.!

घाति कर्म का नाश किया है,
चेतन अमृत पान किया है !
मोक्ष महल की रजधानी.!!

हृदय धरेंगे जिनवाणी…,
अब ना करेंगे मनमानी.!

कमलासन पर राजे भगवन,
समवशरण भव्यों का उपवन !
वाणीहै अति सुखदानी…!!

हृदय धरेंगे जिनवाणी…,
अब ना करेंगे मनमानी.!

गणधर चक्री महिमा गाए,
प्रभु पर सुरगण चँवर ढुराए.!
होऊ चरण पानी…!!

हृदय धरेंगे जिनवाणी…,
अब ना करेंगे मनमानी.!

देवगति से आते देव,
करते चरण कमल की सेव.!
हर्षे इंद्र और इंद्राणी…!!

हृदय धरेंगे जिनवाणी…,
अब ना करेंगे मनमानी.!

तब तक लीन रहूँ चरणों में,
जब तक मुनि न पा लूँ जग में.!
बनूँ मुक्तिमय सोपानी…!!

हृदय धरेंगे जिनवाणी…,
अब ना करेंगे मनमानी.!

चरण गुजारूँ जिंदगानी,
नहीं बनेंगे अभिमानी…!
गुरु की बात हृदय मानी…!!

अब ना करेंगे मनमानी,
हृदय धरेंगे जिनवाणी…!!