आयो आयो पंचकल्याणक भविजन आ जाओ | aayo aayo panchkalayank bhavijan aa jao

आयो आयो पंचकल्याणक भविजन आ जाओ… आ जाओ
खुला है आज मुक्ति का द्वार भविजन आ जाओ… आ जाओ - २
आनन्द है उत्सव… आ जाओ, ये महा महोत्सव… आ जाओ
आओ रे पधारो सिद्धक्षेत्र मंगल यह उत्सव आया यहाँ ॥

क्षेत्र शिखरजी सिद्धधरा का कण कण है अति पावन।
नगर बनारस आज बन गया भरत क्षेत्र का मधुवन ।।
बहे आनन्द रस की धार भविजन आ जाओ ॥१॥ आनन्द हैं उत्सव…

भव्यों का सौभाग्य खिला है जिनदर्शन सब पायें।
सिद्धक्षेत्र में आकर हम सब सिद्धों से मिल जावें ॥
लागा सिद्धों का दरबार भविजन आ जाओं ॥२॥

आनन्द है उत्सव… रत्नत्रय उर धार स्वयं प्रभु, शाश्वत सिद्धपद पायें।
भवोदधि में हम थे अटके हमको पार लगावों ॥
चलो भवसागर के पार भविजन आ जाओ ॥३॥

आनन्द है उत्सव… सिद्धों को मंगल आमन्त्रण सिद्धालय से आया।
अब जो जागों निज हित लागों सिद्धों ने बुलवाया।
पाने सिद्धगति सुखकार भविजन आ जाओ ४॥ आनन्द है उत्सव…

रचयिता - डॉ. विवेक जैन, छिंदवाडा