आये तेरे द्वार सुन ले भक्तों की पुकार | Aaye Tere Dwar Sun Le Bhakto Ki Pukaar

आये तेरे द्वार सुन ले भक्तों की पुकार,
त्रिशला लाल रे॥

कुण्डलपुर में जनम लियो तब, बजने लगी थी शहनाई,
दीपावली को मुक्ति पाई तब मन में सबके तहनाई,
तुम पा गये मुक्ति धाम,
हम भी पायें निज का धाम…त्रिशला लाल रे॥(1)

सुन्दर स्याद्वादकी सरगम, जब तुमने थी बरसाई,
भव्यजनों को आनंदकारी, अमृत धारा बरसाई,
भविजन तुमको निजसम जान,
कर गये आतम का कल्याण…त्रिशला लाल रे॥(2)

नीर क्षीर सम तन चेतन को, भिन्न सदा ही बताया है,
जिन चेतन के दर्शन पा, निज चेतन दर्शन पाया है,
मैं पाऊं निज का धाम
वही सच्चा जिन का धाम…त्रिशला लाल रे॥(3)

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