आया रे बुढ़ापो मानी, सुधि बुधि बिसरानी || टेक ||
श्रवन की शक्ति घटी, चाल चालै अटपटी |
देह लटी भूख घटी, लोचन झरत पानी || १ ||
दाँतन की पंक्ति टूटी, हाड़न की संधि छूटी |
काया की नगरि लूटी, जात नहिं पहिचानी || २ ||
बालों ने वरन फेरा, रोग ने शरीर घेरा |
पुत्र हु न आवे नेरा, औरों की कहां कहानी || ३ ||
‘भूधर’ समुझि अब, स्वहित करैगो कब |
यह गति ह्वै है जब, तब पछितैहै प्राणी || ४ ||
Artist : कविवर पं. भूधरदास जी