आया है सारा सिद्धालय, ज्ञान में मेरे | aaya hai sara siddhalay, gyan me mere

आया है सारा सिद्धालय, ज्ञान में मेरे।
मेरे ज्ञान में ही रहना, सब सिद्ध सिद्ध बनके।।टेक।।

सूना पड़ा था ज्ञान, सब सिद्ध के बिना।
सूनी पड़ी थी दृष्टि, सब सिद्ध के बिना।
भरा है मेरा प्रांगण, सिद्ध सिद्धी दाता बन के।।१।।

गुण आठ से अलंकृत, सिद्ध रुप मैंने देखा।
जन्म मरण के बिना, लोकाग्र वासी देखा।
करमों से रहित सिद्ध, गुण से सहित मैं देखा।।२।।

द्रव्य गुण से मैं हूँ पूरा, पर्याय से भी पूरा।
उपयोग से भी पूरा, पूरा सदा ही पूरा।।
पूर्णता, मैंने निज में, सिद्धों के सम हैं देखी।।३।।

सिद्धों की ये डगरिया, बन गई मेरी नजरिया।
बन गई मेरी नजरिया, बस गई मेरी नजरिया।
दृष्टि है मेरी पलटी, सिद्धों ने मुझमें आके।।३।।