आत्म अनुभव नित रमण | Aatm Anubhav Nit Raman

आत्म अनुभव नित रमण… आत्म अनुभव नित रमण करते सदा मुनिराज है।
मुक्ति पथ अनुरागी गुरुवर सौख्य के साम्राज्य है ।।

सौम्य मुद्रा शान्त छवि नित कह रही उपदेश यह।- २
देख निज की ओर क्षण भर सौख्य का सागर बहे ॥
सहज ज्ञायक भाववर्ती साम्य रस की धार है। आत्म अनुभव नित रमण…

दृष्टि में ध्रुव एक ज्ञायक आत्म अनुभव लीन है।- २
विषय चाह से रहित मुनिवर, परम सुख स्वाधीन है॥
चलते-फिरते सिद्ध प्रभु को वन्दना शत बार है ॥ आत्म अनुभव नित रमण…

राग का न लेश जिनके धारे न कोई वेश है।-२
रत्नत्रय भूषण से शोभित एक मुनि का भेष है॥
स्वानुभव के गिरि शिखर से बह रही सुखधार है॥ आत्म अनुभव नित रमण…

रचियता - डॉ. विवेक जैन, छिंदवाडा

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