आप्त आगम गुरुवर । Aapt Aagam Guruver

आप्त आगम गुरुवर, सौख्य दातार हैं।
ज्ञान दातार हैं, मुक्ति दातार हैं ।।टेक।।

वीतरागी छवि जिनकी, शांत मुद्रा सुपावन।
दिव्य ध्वनि अमृत वर्षा, भविक जन को मन भावन।।

श्री अरिहंत दर्शन, करता भव पार है ।।1।।

नित्य नव नव सुखों का, सदा वेदन जो करते।
अष्ट गुणों से शोभित, अष्टम वसुधा में बसते।।

तुम्ही आदर्श मेरे, महिमा अपार है ।।2।।

निष्पृही अपरिग्रही जो, सिद्धों के लघु नंदन हैं।
मोक्षमार्गी यतियों को, मेरा शत शत वंदन है।।

आप ही जिनशासन के, मूल आधार हैं ।।3।।

आगम चक्षु से माता, निज की प्रभुता बताई।
सात तत्त्व छह द्रव्यों से, विश्व रचना समझाई।।

सर्वज्ञ प्रभु सम माता, तेरा उपकार है ।।4।

Audio by @At.Nishtha18

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