आओ हम सब करें सु दान। Aao Hum Sab karein Su Daan । सत्पात्र दान। Satpaatr दान

सत्पात्र दान

आओ हम सब करें सु दान’ ।
जिससे हो निज पर कल्याण ।। टेक ॥।

योग्य भक्ति से दें पात्रों को,
करुणा पूर्वक जीव मात्र को।
शुद्ध आहार और औषधि दें,
क्षुधा और व्याधि को हर लें ।। 1 ।।

शिव सुख दाता ज्ञान दान दें,
विघ्न और बाधा सब हर लें।
नहीं डरें और कभी डरावें,
वात्सल्य से धर्म बढ़ावें ।। 2 ।।
धर्म मार्ग में होंय सहायक,
कभी किसी को हों नहीं बाधक ।
छोड़ें हम मिथ्या अभिमान,
रखें सदा ही भेद विज्ञान ।। 3 ।।

उक्त रचना में प्रयुक्त हुए कुछ शब्दों के अर्थ
१. सु दान = सम्यक दान

पुस्तक का नाम:" प्रेरणा " ( पुस्तक में कुल पाठों की‌ संख्या =२४)
पाठ क्रमांक: १५
रचयिता: बाल ब्र. श्री रवीन्द्र जी 'आत्मन् ’