आओ-आओ शान्तिनाथ | Aao-Aao Shantinath

आओ आओ शान्तिनाथ, मेरे हृदय में आओ²,
तिष्ठो-तिष्ठो हे जिनेश्वर, मेरे हृदय तिष्ठाओ² ।

मेरे भावों में जिनेश्वर एकमेक हो जाओ ।। टेक।।

दर्शन बिन था तड़फता, ज्यों पानी बिन मीन ।
आज प्रत्यक्ष निहारकर, आनंद भयो अक्षीण ।।आओ.।।1।।

मंगलमय-मगंल करण, लोकोत्तम परधान ।
दर्शाया शिवमग सहज, तुम्हीं शरण अम्लान ।।
आओ. ।।2।।

सहज शांत शुद्धात्मा, तुम प्रसाद से देव ।
पाया अंतर में अहो, नशे क्लेश स्वयमेव ।।आओ.।।3।।

चाह मिटी चिंता मिटी, जागा तत्त्व विचार ।
यही भावना है विभो, प्रगटे पंचाचार ।। आओ.।।4।।

आज समाई चित्त में, मूरति शान्ति जिनेश ।
करूँ वंदना भावमय, होंय कर्म निःशेष ।। आओ.।।5।।

रचयिता:- ब्र. रवीन्द्र जी ‘आत्मन्’