आज हम जिनराज तुम्हारे । Aaj Hum Jinraj Tumhare

आज हम जिनराज तुम्हारे, द्वारे आये।
हाँ जी हाँ हम आये आये ।।टेक।।

देखे देव जगत के सारे, एक नहीं मन भाये।
पुण्य उदय से आज तिहारे, दर्शन कर सुख पाये।।1।।

जन्म मरण नित करते करते, काल अनंत गँवाये।
अब तो स्वामी जन्म मरण का, दुखड़ा सहा न जाये ।।2।।

भव सागर में नाव हमारी, कब से गोता खाये।
तुम ही स्वामी हाथ बढ़ाकर, तारो तो तर जायें ।।3।।

अनुकम्पा हो जाए आपकी, आकुलता मिट जाए।
‘पंकज’ की प्रभु यही वीनती, चरण शरण मिल जाए ।।4।।

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