आचार्य कुंदकुंद जो भारत में न आते । Aacharya Kundkund Jo

आचार्य कुंदकुंद जो भारत में ना आते।
अध्यात्म समयसार कहो कौन सुनाते?टेक।।

ऐसे महामुनिराज जो भारत में न आते।
शुद्धातमा की बात कहो कौन सुनाते?

जय-जय गुरुदेव, जय गुरुदेव।
जय-जय गुरुदेव, जय गुरुदेव।।

रचकर के कौन देता आत्मख्याति समयसार?
ऐसे अनेक ग्रंथ भेदज्ञान के भंडार।

रत्नत्रय गुणों से भरा हृदय तुम्हारा।
उनके बिना हृदय में शांति कौन दिलाते?

ऐसे महामुनिराज जो भारत में न आते…।।आचार्य कुन्दकुन्द…।।1।।

जलती कषायें अग्नि सहज भाव जलाती।
कर्मों के महाबंध को आतम से कराती।।

तुम्हारी छवि देख निज की महिमा ही होती।
शांति का सहज प्याला कहो कौन पिलाते?

ऐसे महामुनिराज जो भारत में न आते…।।आचार्य कुन्दकुन्द…।।2।।

सम्यक्त्व बिना मोह ने भववन में घुमाया।
सम्यक्त्व बिना आत्मा को उसने रुलाया।।

सम्यक्त्व आत्मा की निधि कौन बताते?
अध्यात्म सुधारस कहो कौन पिलाते?

ऐसे महामुनिराज जो भारत में न आते…।।आचार्य कुन्दकुन्द…।।3।।

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