कभी न करना-2 | Kabhi naa karna-2

पीड़ा अच्छे नहीं लगे तो किसी को पीड़ा न देना।
झगड़ा अच्छा नहीं लगे तो किसी से झगड़ा न करना।।
निंदा खुद को सुन न सको तो निंदा किसी की न करना।
गाली अच्छी कभी न होती, तुम भी गाली न देना।।
भूख प्यासे रह न सको तो सब मिलकर खाना-पीना।
चोरी अच्छी कभी नहीं न होती, तुम भी चोरी न करना ।।
झूठ बोलना बहुत बुरा है, झूठ कभी भी न कहना।
जूठा भोजन कर न सको तो, जूठा किसी को न देना।।

Artist: बाल ब्र. श्री सुमत प्रकाश जी
Source: बाल काव्य तरंगिणी