प्रभु पतित पावन

अर्थात /-
हे शिवनाथ जी ! , हे परमात्मा ! , मैं ( बुधजन ) अब देवों का निवासस्थान अर्थात स्वर्ग नही चाहता ,और ना ही मनुष्य-राजा-परिवारजन का ही मैं साथ माँग रहा हूँ । मैं तो बस अब आपका
( भगवान ) साथ , आपकी भक्ति का साथ मुझे भव-भव में प्राप्त हो [ तात्पर्य - आपने जो कार्य किया , मैं वह करना चाहता हूँ ]
मैं उसे ही जांच ( खोज ) रहा हूँ ।

अर्थात , मैं अब मोक्ष का इच्छुक हूँ ।

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