निगोद में दुख है या अचेतनता?

आपका jinswara में हार्दिक स्वागत है! यह आपका प्रथम अनुभव सुखद हो!

इन्द्रिय ज्ञान - दु:ख का ज्ञान - दु:ख का वेदन कम
आसक्ति/विषयेच्छा अत्यधिक एवं शक्ति-हीनता अत्यधिक होने से महा दुःखी

दोनों

अतः 4 प्रकार का दुःख -

  1. दुःख के वेदन से - हमारी पकड़ में आता है और इन्द्रियों के बढ़ने से घटता है।
  2. कषाय से दुःख - हमारे अनुभव में आता है और तीव्र लेश्या या व्यथित परिणामों से बढ़ता है।
  3. शक्तिहीनता का दुःख - हमारे अनुभव में आता है और इन्द्रियाँ घटने पर बढ़ता जाता है।
  4. मिथ्यात्व से दुःख - स्थूलता से पकड़ में नहीं आता और सदा एक जैसा रहता है क्योंकि अभिप्राय का दोष है।
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