बालबोध पाठमाला भाग २ | Balbodh Pathmala Part-2 [Hindi & English]

पाठ सातवाँ: भगवान महावीर

अध्यापक- बालको! कल महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव है। प्रात: प्रभात-फेरी निकलेगी। अत: सुबह पाँच बजे आना है और सुनो, शाम को महावीर चौक में ग्राम सभा होगी, उसमें बाहर से पधारे हुये बड़े- बड़े विद्वान भगवान महावीर के सम्बन्ध में भाषण देंगे। तुम लोग वहाँ अवश्य पहुँचना।
पहला छात्र - गुरुजी, बड़े विद्वानों की बातें तो हमारी समझ में नहीं आतीं । आप ही बताइये न, भगवान महावीर कौन थे? कहाँ जन्मे थे?

अध्यापक- बच्चो! भगवान जन्मते नहीं, बनते हैं। जन्म तो आज से करीब २५८० वर्ष पहिले चैत्र शुक्ला १३ के दिन बालक वर्धमान का हुआ था। बाद में वह बालक वर्धमान ही आत्म-साधना का अपूर्व पुरुषार्थ कर भगवान महावीर बना।
दूसरा छात्र - इसका मतलब तो यह हुआ कि हमारे में से भी कोई भी आत्म-साधना कर भगवान बन सकता है। तो क्या वर्धमान जन्मते समय हम जैसे ही थे ?

अध्यापक- और नहीं तो क्या? यह बात जरूर है कि वे प्रतिभाशाली, आत्मज्ञानी, विचारवान, स्वस्थ और विवेकी बालक थे। साहस तो उनमें अपूर्व था, किसी से कभी डरना तो उन्होंने सीखा ही नहीं था। अतः बालक उन्हें बचपन से वीर, अतिवीर कहने लगे थे।

तीसरा छात्र- उन्हें सन्मति भी तो कहते हैं?
अध्यापक- उन्होंने अपनी बुद्धि का विकास कर पूर्ण ज्ञान प्राप्त कर लिया था, अत: सन्मति भी कहे जाते हैं और सबसे प्रबल राग- द्वेषरूपी शत्रुओं को जीता था, अत: महावीर कहलाये। उनके पाँच नाम प्रसिद्ध हैं। वीर, अतिवीर, सन्मति , वर्धमान और महावीर।

पहला छात्र - उनके जन्म कल्याणक के समय तो उत्सव मनाया गया होगा? जब हम आज भी उत्सव मनाते हैं, तो तब का क्या कहना?
अध्यापक- हाँ, वे नाथवंशीय क्षत्रिय राजकुमार थे। उनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशला देवी था । उन्होंने तो उत्सव मनाया ही था, पर साथ ही सारी जनता ने यहाँ तक कि स्वर्ग के देव तथा इन्द्रादिकों ने भी उत्सव मनाया था।

दूसरा छात्र - उनका ही जन्मोत्सव क्यों मनाया जाता हैं, औरों का क्यों नहीं ?
अध्यापक- उनका यह अंतिम जन्म था। इसके बाद तो उन्होंने जन्म-मरण का नाश ही कर दिया। वे वीतराग और सर्वज्ञ बने। जन्म लेना कोई अच्छी बात नहीं है, पर जिस जन्म में जन्म-मरण का नाश कर भगवान बना जा सके, वही जन्म सार्थक है।

पहला छात्र- अच्छा, तो आज जन्म-मरण का नाश करने वाले का जन्मोत्सव है।
दूसरा छात्र - गुरुजी, आपने उनके माता- पिता का नाम तो बताया, पर पत्नी और बच्चों का नाम तो बताया ही नहीं।
अध्यापक- उन्होंने शादी ही नहीं की थी। अत: पत्नी और बच्चों का प्रश्न ही नहीं उठ । उनके माता-पिता कोशिश करके हार गये,
पर उन्हें शादी करने को राजी न कर सके।

तीसरा छात्र- तो क्या वे साधु हो गये थे?
अध्यापक- और नहीं तो क्या ? बिना साधु हुए कोई भगवान बन सकता है क्या? उन्होंने तीस वर्ष की यौवना-वस्था में नग्न दिगम्बर साधु होकर घोर तपश्चरण किया था। लगातार बारह वर्ष की आत्म-साधना के बाद उन्होंने केवलज्ञान की प्राप्ति की थी।

पहला छात्र - इसका मतलब यह हुआ कि वे ४२ वर्ष की उम्र में केवलज्ञानी बन गये थे।
अध्यापक- हाँ, फिर उनका लगातार ३० वर्ष तक सारे भारतवर्ष में समवशरण सहित विहार तथा दिव्यध्वनि द्वारा तत्त्व का उपदेश होता रहा। अंत में पावापुर में आत्म-ध्यान में लीन हो ७२ वर्ष की आयु में दीपावली के दिन मुक्ति प्राप्ति की ।

दूसरा छात्र - यह पावापुर कहाँ है?
अध्यापक- पावापुर बिहार में नवादा रेलवेस्टेशन के पास में है ।

तीसरा छात्र- तो दिपावली भी उनकी मुक्ति-प्राप्ति की खुशी में मनाई जाती है?
अध्यापक- हाँ ! हाँ!! दीपावली कहो चाहे महावीर निर्वाणोत्सव, एक ही बात है। उसी दिन उनके प्रमुख शिष्य इन्द्रभूति गौतम को
केवलज्ञान प्राप्त हुआ था। वे गौतम गणधर के नाम से जाने जाते हैं।

पहला छात्र - वे तीस वर्ष तक क्या उपदेश देते रहे ?
अध्यापक- यह बात तो तुम विस्तार से शाम की सभा में विद्वानों के मुख से ही सुनना। मैं तो अभी उनके द्वारा दी गई दो चार शिक्षायें बताये देता हूँ :-

१. सभी आत्मायें बराबर हैं, कोई छोटा- बड़ा नही है ।
२. भगवान कोई अलग नहीं होते। जो जीव पुरुषार्थ करे, वही भगवान बन सकता है।
३. भगवान जगत् की किसी भी वस्तु का कुछ कर्त्ता-हर्त्ता नहीं है, मात्र जानता ही है।
४. हमारी आत्मा का स्वभाव भी जानना-देखना है, कषाय आदि करना नहीं है।
५. कभी किसी का दिल दुखाने का भाव मत करो ।
६. झूठ बोलना और झूठ बोलने का भाव करना पाप है।
७. चोरी करना और चोरी करने का भाव करना बुरा काम है।
८. संयम से रहो, क्रोध से दूर रहो और अभिमानी न बनो।
९. छल-कपट करना और भावों में कुटिलता रखना बहुत बुरी बात है।
१०. लोभी व्यक्ति सदा दुःखी रहता है।
११. हम अपनी ही गलती से दुःखी हैं और अपनी भूल सुधार कर सुखी हो सकते हैं।

प्रश्न -

१. भगवान महावीर का संक्षिप्त परिचय दीजिये ।
२. उनकी क्या शिक्षायें थीं?
३. संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखो :- दीपावली, महावीर-जयन्ती, पावापुर।
४. महावीर के कितने नाम हैं ? बताकर प्रत्येक की सार्थकता बताइये ।
५. उनका ही जन्म-दिवस क्यों मनाया जाता है?

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