इंद्रिय सुख सुख नहीं मात्र एक भ्रम है

जो देह में अपनत्व करते ।
इंद्रिय सुख की चाह में ॥
भ्रमरूप है वह सुख नहीं ।
सुख सहज सहज स्वभाव में ॥

सुख ढूंडे संसार में।
नहीं मिलेगा तोए ॥
रेती पेरै तेल निकारन।
मूढ़ ना तुझसा कोए ॥