मोक्षमार्ग में आगे बढ़ने के लिए स्वयं के प्रति पूर्ण रूप से ईमानदार होना जरूरी है
जैसे अपने सूक्ष्म से सूक्ष्म दोषो को पकड़ना और स्वीकार कर दूर करने की भावना
आगम की वाणी को एकांत -अनेकांत रूप से न्याय पूर्वक समजना
चारो अनुयोगों को न्याय पूर्वक बिना उपेक्षा से समझना
इस विषय पर यदि भाव बने तो विस्तृत चर्चा करें
और भी कोई बिंदु ख्याल में आवे तो बतावे