मोक्षमार्ग में ईमानदारी

मोक्षमार्ग में आगे बढ़ने के लिए स्वयं के प्रति पूर्ण रूप से ईमानदार होना जरूरी है

जैसे अपने सूक्ष्म से सूक्ष्म दोषो को पकड़ना और स्वीकार कर दूर करने की भावना

आगम की वाणी को एकांत -अनेकांत रूप से न्याय पूर्वक समजना
चारो अनुयोगों को न्याय पूर्वक बिना उपेक्षा से समझना

इस विषय पर यदि भाव बने तो विस्तृत चर्चा करें
और भी कोई बिंदु ख्याल में आवे तो बतावे

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मोक्षमार्गप्रकाशक में भी आया हैं की इस जीव को सुक्ष्म मिथ्यात्व भी त्यागने योग्य हैं, जो की अपने प्रति ईमानदारी हो तभी संभव हैं। समयसार आदि ग्रंथो में भी विस्तार इसलिए किया है, ताकि जीव अपनी भूलो को बारीकी से देख सके और उन भूलो को छोड़ सके।

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