कर्ता-कर्म संबंध और कारण-कार्य संबंध में क्या अंतर हैं व क्या समानताएं हैं?
कृपया सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
कर्म और कार्य पर्यायवाची है। कर्म, कार्य, क्रिया, परिणमन आदि सब एक ही चीज़ को बताते है।
कारण एक कार्य के होने में जो जो साधन है वे सब है। कारण को कारक भी कहते है।
कारण छह है उसमें कर्ता एक कारक है।
- कर्ता
- कर्म (क्रिया, परिणमन आदि)
- करण
- संप्रदान
- अपादान
- अधिकरण
छह कारकों में जो ‘कर्म’ कहा गया है तथा कारण-कार्य संबंध में कार्य को जो ‘कर्म’ कहा गया है, वे एक ही हैं, अथवा भिन्न-भिन्न?
यदि एक है तो कारण- कार्य संबंध में कर्म(कारण/कारक) व कर्म (क्रिया/कार्य) समान हो जाएंगे?
यदि भिन्न हैं, तो दोनों में क्या अंतर हैं?
Also, can we say that कर्ता-कर्म संबंध is a sub-part of कारण-कार्य संबंध?
क्रिया/कर्म/परिणमन/कार्य पर्यायवाची है इसलिए एक है। कारण और कारक भी एक ही है।
कर्ता-कर्म कारण-कार्य का ही अंश है। मुख्यतः कर्ता-कर्म का ही ज़्यादा प्रकरण आता है क्योंकि जीव को मुख्य भ्रांति कर्ता-सम्बन्धी होती है। अगर वह भ्रांति मिट जाए तो बाक़ी के कारक सम्बन्धी भूल भी अपने आप मिट जाएगी।
कारकों के बारे में विशेष जानने के लिए कारण कार्य रहस्य पढ़िए। http://www.jainsiddhant.org/uploads/publications/Kaaran-Kaarya-Rahasya-ENG.pdf