सुनने और पढ़ने में कभी शुष्कता आ जाती है
स्वरूप ग्रहण करने के लिए जितना माहात्म्य आना चाहिए उतना नहि आता, तो यथार्थ महिमा कैसे आए ?
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पंच सूत्र -
जानकारी --> महिमा --> रुचि --> प्रयत्न (पुरुषार्थ) --> प्राप्ति (उपलब्धि)
जिस विषय की जिस अनुपात में जानकारी होती है, उसकी उस अनुपात में महिमा आती है,
जिस विषय की जिस अनुपात में महिमा आती है, उसकी उस अनुपात में रुचि होती है,
जिस विषय की जिस अनुपात में रुचि होती है, उसके लिए उस अनुपात में प्रयत्न करते है,
जिस विषय के लिए जिस अनुपात में प्रयत्न करते है, उसकी उस अनुपात में प्राप्ति होती है।
जिस विषय की जिस अनुपात में महिमा आती है, उसकी उस अनुपात में रुचि होती है,
जिस विषय की जिस अनुपात में रुचि होती है, उसके लिए उस अनुपात में प्रयत्न करते है,
जिस विषय के लिए जिस अनुपात में प्रयत्न करते है, उसकी उस अनुपात में प्राप्ति होती है।
- आ. जगदीश जी प. जी
अपनी जहां कमी/अधिकता दिखाई दे, तो वहां के पहले वाले क्रम में कार्य करना योग्य है।
धार्मिक और लौकिक - सभी क्षेत्रों में यह कार्यकारी है।
धार्मिक और लौकिक - सभी क्षेत्रों में यह कार्यकारी है।
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