क्या क्षुल्लक ऐलक की अष्टद्रव्य से पूजन कर सकते है?
उनका अभिवादन किस प्रकार करना चाहिए।
आगम आधार दे।
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अष्ट द्रव्यों से पूज्य तो छटवें गुणस्थान से होते हैं,ऐलक क्षुल्लक पाचवें गुणस्थानवर्ती हैं।अतः वेंं अष्ट द्रव्यों से पूज्य नहीं होते।
इनका अभिवादन इच्छामि शब्द से किया जाता है।
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सूत्र पाहुड की 13 और 14 वी गाथा 11 वी प्रतिमा धारी को इच्छामि ( संस्कृत) इच्छाकार ( हिंदी)
परंतु कुंदकुन्द स्वामी ने दर्शन पाहुड की 28 मि गाथा में मुनिराज को वन्दामि कहा और प्रवचन सार की टीका में जयसेन आचार्य ने वन्दामि अरहंत भगवान को कहा इससे स्पष्ट होता है कि - नमोस्तु, नमस्कार, वन्दामि, नमोत्थु आदि सर्वनाम है।ये केवल पांच परमेष्ठी को ही करना ।
आयिका माता को भी इच्छाकार या इच्छामि कहना ।
ऐसा ख्याल में आता है।
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