These rules are inferred on the basis of the वासना काल of each of the levels of अप्रत्याख्यानावरण, प्रत्याख्यानावरण and संज्वलन respectively.
- गोम्मटसार कर्मकाण्ड, गाथा 46, p. 33
This chart will make it more clear -
अप्रत्याख्यानावरण कषाय का उत्कृष्ट वासनाकाल (explained above) छह महीने का है -
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सम्यग्दृष्टि को कोई भी कषाय छह महीने से अधिक समय के लिए निरंतर संस्कार रूप में भी नहीं रह सकती; यदि रहें तो वह अनंतानुबंधी रूप सिद्ध हुई और ऐसा होने पर सम्यक्त्व का भी अभाव सिद्ध हुआ ।
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जब भी जीव को शुद्धोपयोग / आत्मानुभव होता है, तो उस समय कषाय की परम्परा टूटती है ।