चतुर्थ गुणस्थान में शुद्धोपयोग और सम्यक्चारित्र

These rules are inferred on the basis of the वासना काल of each of the levels of अप्रत्याख्यानावरण, प्रत्याख्यानावरण and संज्वलन respectively.


This chart will make it more clear -


अप्रत्याख्यानावरण कषाय का उत्कृष्ट वासनाकाल (explained above) छह महीने का है -

  • सम्यग्दृष्टि को कोई भी कषाय छह महीने से अधिक समय के लिए निरंतर संस्कार रूप में भी नहीं रह सकती; यदि रहें तो वह अनंतानुबंधी रूप सिद्ध हुई और ऐसा होने पर सम्यक्त्व का भी अभाव सिद्ध हुआ ।

  • जब भी जीव को शुद्धोपयोग / आत्मानुभव होता है, तो उस समय कषाय की परम्परा टूटती है ।

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