बारह भावना- एक अनुशीलन| Barah Bhavna Class

  • स्वामी कार्तिकेय ने बारह भावनाओं को भव्यों के आनंद की जननी कहा है |
  • आचार्य कुंदकुंद देव इन्हे साक्षात् मुक्ति का कारण बताते हैं |
  • भूतकाल में जितने श्रेष्ठ पुरुष सिद्ध हुए हैं और भविष्य में जितने होंगे- वे सब बारह भावनाओं के माहात्म्य से हुए हैं और होंगे |
  • आचार्य पद्मनन्दि कहते हैं की महान पुरुषों को भावनाओ का चिंतन हमेशा करना चाहिए | क्यूंकि ये भावना कर्मो के क्षय का कारण हैं |
  • शुभचन्द्राचार्य ने लिखा है- " इन बारह भावनाओ के अभ्यास से जीवों की कषायें शांत हो जाती हैं, राग गल जाता है, अंधकार मिट जाता है और ज्ञान रूपी दीपक विकसित होता है |
  • पंडित श्री दौलतरामजी बारह भावनाओ को वैराग्य की जननी बताते हैं |
  • जो संसार शरीर भोगों को भाव न दे, वो सच्ची भावना है।
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