मोक्षमार्ग प्रकाशक | Mokshmarg Prakashak

उपाध्यायका स्वरूप

तथा जो बहुत जैन-शास्त्रोंके ज्ञाता होकर संघमें पठन-पाठनके अधिकारी हुए हैं; तथाजो समस्त शास्त्रोंका प्रयोजनभूत अर्थ जान एकाग्र हो अपने स्वरूपको ध्याते हैं, और यदि ****कदाचित् कषाय अंशके उदयसे वहाँ उपयोग स्थिर न रहे तो उन शास्त्रोंको स्वयं पढ़ते हैं तथा अन्य धर्मबुद्धियोंको पढ़ाते हैं।

ऐसे समीपवर्ती भव्योंको अध्ययन करानेवाले उपाध्याय, उनको हमारा नमस्कार हो।

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