मोक्षमार्ग प्रकाशक | Mokshmarg Prakashak

आचार्यका स्वरूप

उनमें जो सम्यग्दर्शन-सम्यग्ज्ञान-सम्यक्चारित्रकी अधिकतासे प्रधान पद प्राप्त करके संघमेंनायक हुए हैं; तथा जो मुख्यरूपसे तो निर्विकल्प स्वरूपाचरणमें ही मग्न है और जो कदाचित् धर्मके लोभी अन्य जीव-याचक उनको देखकर राग अंशके उदयसे करुणाबुद्धि हो तो उनको धर्मोपदेश देते हैं, जो दीक्षाग्राहक हैं उनको दीक्षा देते हैं, जो अपने दोषोंको प्रगट करते हैं, उनको प्रायश्चित्त विधिसे शुद्ध करते हैं।

ऐसे आचरण अचरानेवाले आचार्य उनको हमारा नमस्कार हो।

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