३२. तैयार । (बाल भावना) Taiyaar

श्री जिनवर का दर्शन करने – हैं तैयार, हैं तैयार ।

प्रभु की भक्ति, पूजन करने – हैं तैयार, हैं तैयार ।

जिनगुरुओं की सेवा करने – हैं तैयार, हैं तैयार ।

जिनवाणी पढ़ने अरू सुनने – हैं तैयार, हैं तैयार ।

औरों को भी सहज सुनाने – हैं तैयार, हैं तैयार ।

तत्त्वों का हम निर्णय करने – हैं तैयार, हैं तैयार ।

सच्चा वस्तुस्वरूप समझने – हैं तैयार, हैं तैयार ।

भेदज्ञान निज पर का करने – हैं तैयार, हैं तैयार ।

स्वानुभूतिमय श्रद्धा करने – हैं तैयार, हैं तैयार ।

नित वैराग्य भावना भाने – हैं तैयार, हैं तैयार ।

क्रोध त्यागने, क्षमा धारने – हैं तैयार, हैं तैयार ।

मान त्यागने, मृदुता धरने – हैं तैयार, हैं तैयार ।

माया त्याग, सरलता धरने – हैं तैयार, हैं तैयार ।

लोभ त्याग, संतोष धारने – हैं तैयार, हैं तैयार ।

विषय त्यागने, संयम धरने – हैं तैयार, हैं तैयार ।

त्याग परिग्रह, मुनिपद धरने – हैं तैयार, हैं तैयार ।

हर उपसर्ग परीषह सहने – हैं तैयार, हैं तैयार ।

आत्मध्यान में स्थिर रहने – हैं तैयार, हैं तैयार ।

श्रेणी चढ़ने, कर्म नशाने – हैं तैयार, हैं तैयार ।

अक्षय परमातम पद पाने – हैं तैयार, हैं तैयार ।

Artist: ब्र. श्री रवीन्द्र जी ‘आत्मन्’

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