करले आतम ज्ञान परमातम बन जइये।
करले भेद-विज्ञान रे ज्ञानी बन जइये ॥टेक॥
जग झूठा और रिश्ते झूठे, रिश्ते झूठे नाते झूठे।
सांचो है आतमराम, परमातम बन जइये ॥१॥
कुन्दकुन्द आचार्य देव ने आतम तत्त्व बताया है।
शुद्धातम को जान, परमातम बन जइये ॥२॥
देह भिन्न है आत्म भिन्न है, ज्ञान भी इससे भिन्न-भिन्न है।
आतम को ही जान, परमातम बन जइये ॥३॥
कुन्दकुन्द के ही प्रताप से, कहान गुरु के ही प्रताप से।
ध्रुव की धूम मची है रे, ध्रुव का ध्यान लगाय, परमातम बन जइये ॥४॥