धीर वीर गंभीर बनेंगे,
निज पर का कल्याण करेंगे।
देव शास्त्र गुरु धर्म समझकर,
हम सम्यक् श्रद्धान करेंगे।।1।।
पापोदय की विपदाओं में,
धैर्य धरेंगे भक्ति करेंगे।।2।।
प्रभु नाम जपेंगे, नहीं डरेंगे,
सम्यक् तत्त्व विचार करेंगे।।3।।
नहीं सम्पदाओं को चाहे,
सहज मिले तो नही फसेंगे।।4।।
सम्यक् श्रद्धा को नहीं छोड़े,
और नियम से नहीं चिगेंगे।।5।।
क्षुब्ध न हो मध्यस्थ रहेंगे,
समता से ही सहन करेंगे।।6।।
स्वाध्याय को करे सार्थक,
निश्चय आतम ध्यान धरेंगे।।7।।
आत्म प्रभुता प्रगट करेंगे,
अपना जीवन सफल करेंगे।।।8।।
Artist - ब्र. श्री रवीन्द्र जी ‘आत्मन्’