अहो चैतन्य आनंदमय(मेरा सहज जीवन) | Aho Chaitanya Anandmay (Mera Sahaj jeevan)

अहो चैतन्य आनंदमय, सहज जीवन हमारा है।
अनादि अनंत पर निरपेक्ष, ध्रुव जीवन हमारा है।

हमारे में न कुछ पर का, हमारा भी नहीं पर में।
द्रव्य दृष्टि हुई सच्ची, आज प्रत्यक्ष निहारा है।

अनंतो शक्तियां उछले, सहज सुख ज्ञानमय बिलसे।
अहो प्रभुता ! परम पावन, वीर्य का भी न पारा है।

नहीं जन्मू नहीं मरता, नहीं घटता नहीं बढ़ता।
अगुरुलघुरूप ध्रुव ज्ञायक, सहज जीवन हमारा है।

सहज एश्वर्यमय मुक्ति, अनंतो गुणमयी ऋद्धि।
विलसती नित्य ही सिद्धि, सहज जीवन हमारा है।

किसी से कुछ नहीं लेना, किसी को कुछ नहीं देना।
अहो! निश्चित परमानंद, मय जीवन हमारा है।

ज्ञानमय लोक है मेरा, ज्ञान ही रूप है मेरा।
परम निर्दोष समतामय, ज्ञान जीवन हमारा है।

मुक्ति में व्यक्त है जैसा, यहाँ अव्यक्त है वैसा।।
अबद्धस्पृष्ट अनन्य, नियत जीवन हमारा है।।

सदा ही है न होता है, न जिसमें कुछ भी होता है।
अहो उत्पाद व्यय निरपेक्ष, ध्रुव जीवन हमारा है॥

विनाशी बाह्य जीवन की, आज ममता तजी झूठी।
रहे चाहे अभी जाये, सहज जीवन हमारा है॥

नहीं परवाह अब जग की, नहीं है चाह शिवपद की।
अहो परिपूर्ण निष्पृह ज्ञानमय जीवन हमारा है॥

Artist - ब्र० श्री रवीन्द्र जी आत्मन्

7 Likes